Zindagi Shayari 025
इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है,
कोई गमो की पनाह में रोता है,
अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है,
कोई भरोसे के लिए रोता है,
कोई भरोसा करके रोता है।
इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है,
कोई गमो की पनाह में रोता है,
अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है,
कोई भरोसे के लिए रोता है,
कोई भरोसा करके रोता है।
जेब में जरा सा सूराख क्या हुआ,
सिक्कों से ज्यादा रिश्ते गिर पड़े।
ज़िन्दगी में कभी झुकना पड़े तो कभी मत घबराना,
क्योंकि झुकता वही है जिसमे जान होती है,
और अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है।
कुछ रहम कर ऐ ज़िन्दगी, थोडा संवर जाने दे।
तेरा अगला जख्म भी सह लेंगे, पहले वाला तो भर जाने दे।
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है,
जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है?
ये ज़िन्दगानी तो बहुत हल्की हुआ करती है,
दम तो हमारी ख्वाइशें निकाल दिया करती हैं।
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है कि,
मरने को दिल चाहे।
बस कुछ लोग इतना दर्द देते हैं कि,
जीने का दिल नहीं करता।
तहज़ीब के खिलाफ हुआ सच का बोलना,
अब झूठ ज़िन्दगी के सलीक़े में आ गया।
रोते हुए नयन देखे
मुस्कुराता हुआ अधर देखा
गैरों के हाथों में मरहम
अपनों के हाथों में खंजर देखा।
ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है,
जो कभी सोचा वो कभी मिला नही,
जो पाया कभी सोचा नही,
और जो मिला रास आया नही,
जो खोया वो याद आता है,
और जो मिला सम्भाला जाता नही।