Anand Bakshi – The Lyrical Genius of Bollywood
Anand Bakshi Early life
(Anand Bakshi) आनंद बक्शी जी (21 July 1930 – 30 March 2002) अपने समय के अव्वल कवी और गीतकार हुए। ये चालीस बार फिल्म फेर के लिए नामित हुए जिस में से चार बार ये सम्मान उन्हें मिला।
आनंद बक्शी जी का जन्म रावलपिंडी जो अब पाकिस्तान में है, को एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ। इनकी माता जी का बहुत जल्दी निधन हो गया और भारत पाकिस्तान के बटवारे के चलते ये परिवार सहित नयी दिल्ली आ गए। आनंद बक्शी जी शुरू से ही कविता और शेर लिखने का शौक था लेकिन वो इसको बहुत ज्यादा लोगो को नहीं सुनाते थे। बक्शी जी ने जल्दी ही भारतीय सेना में आवदेन किया और सेना में आने के बाद भी वो कवितायेँ लिखते रहे। यही पे ही उन्हें फिल्मो में गाने लिखने का ख्याल आया। मुंबई आने के बाद उनकी महत्वाकांक्षा थी की वे गीतकार और गायक बने , लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता एक गीतकार (Lyricist) के रूप में ही मिली।
Anand Bakshi Filmography
उनकी पहली फिल्म ‘ भला आदमी ‘ थी जिसमें उस वक़्त के सुपरस्टार भगवान् दादा ने काम किया और गांनो की बहुत तारीफ की। आनंद बक्शी जी को असली सफलता 1965 में मिली जब उनके लिखे हुए गाने एक के बाद एक हिट होने लगे।
इस साल लगातार दो हिट फिल्मो ने आनद बक्शी जी को बहुत मशहूर बना दिया। ये फिल्में थी हिमालय की गोद में और जब जब फूल खिले। अपने इस ख़ास अंदाज़ के चलते, आनंद बक्शी जी सुपरस्टार राजेश खन्ना की पहली चॉइस बन गए। राजेश खन्ना जी की यही कोशिश रहती की उनकी फिल्मो के गाने आनद बक्शी जी ही लिखे। इस जोड़ी ने एक के बाद एक सुपरहिट गांनो की झड़ी लगा दी। आराधना, कटी पतंग, अमर प्रेम, नमक हराम और आप की कसम अपने वक़्त की बॉक्स ऑफिस की सबसे हिटफिल्में रही और इन फिल्मो के गाने इतने मशहूर हुए और इतने सदाबहार साबित हुए की आज भी आप इन गानो को रेडियो या टेलीविज़न पे बार बार देख सकते है।
आनंद बक्शी जी ने अपने जीवन काल में 638 फिल्मो के लिए गाने लिखे और 3500 से ज्यादा गाने लिखे। इस दौरान आनंद बक्शी जी ने अपने वक़्त के सभी मशहूर संगीतकारों और कलाकारों के साथ काम किया। यही नहीं आनंद बक्शी जी ने नए ज़माने के कई गायको के पहले गाये हुये गाने भी लिखे।
अत्यधिक धूम्रपान के कारन होने वाली दिल की बीमारी से आनंद बक्शी जी का निधन मुंबई में 71 वर्ष की आयु में हुआ। हिंदी सिनेमा जगत में इन्हे हमेशा एक सफल गीतकार के रूप में याद रखा जायेगा।
Few lines from super hit songs penned by Anand Bakshi
ऐ काश कहीं ऐसा होता
के दो दिल होते सीने में
एक टूट भी जाता इश्क़ में तो
तकलीफ ना होती जीने में
Shmaa kahe parwaane se, pare chala jaa
Meri tarah jal jaayega, yahan nahin aa
Wo nahin sunata, usko jal jana hota hai
Khush rahe tu sadaa
Yeh duwaa hai meri
Khush rahe tu sadaa
Yeh duwaa hai meri
Bewafa hi sahi
Bewafa hi sahi
Dilruba hai meri
Khush rahe
Achchha toh hum chalate hain
Phir kab miloge, jab tum kahoge
Jummey raat ko, haan haan aadhi raat ko
Kahaan, wahi jahaan koyi aata jaata nahi
Achchha toh hum chalate hain
Kuchh to log kahenge logon ka kaam hai kehnaa
Chhodo bekaar ki baaton mein kaheen beet na jaaye rainaa
Jaaney jaan dhoondta phir raha
Hoon tumhe raat din main yahan se vahan
Mujhko aawaaz do, chup gaye ho sanam
Tum kahan, Main Yahan
Yeh shaam mastani, madahosh kiye jaaye
muje door koi khinche, teri aur liye jaayeDoor rahati hai too, mere paas aati nahi
hoothon pe tere, kabhi pyaas aati nahi
aisa lage jaise ke tu, has ke zahar koi piye jaaye
Ham donon do premii duniyaa chhod chale
Jiivan kii ham saarii rasmein tod chale
Ham donon do premii duniyaa chhod chale
Jiivan kii ham saarii rasmein tod chale
Kora kagaz tha ye mann mera
Likh diya naam iss mein teraSoona aagan tha jeevan mera
Bas gaya pyaar iss mein tera
Saanson mein badi bekarari, aankhon mein kayi rat jage
Kabhi kahin lag jaaye dil to, kahin phir dil na lagey
Apna dil main zaraa thaam lun, jaadu ka main isse naam dun
Jaadu kar raha hai asar, chupke chupke
Movies (फ़िल्में):
आनंद बक्शी जी ने करीब (636) फिल्मो में काम किया। इनमे से कुछ उल्लेखनीय फिल्मे इस प्रकार है:
- भला आदमी (1958),
- हिमालय की गोद में (1965),
- जब जब फूल खिले (1965),
- अनजाना (1969),
- आराधना (1969),
- आन मिलो सजना (1970),
- जीवन मृत्यु (1970),
- हरे रामा हरे कृष्णा (1971),
- नमक हराम (1973),
- चुपके चुपके (1975),
- जूली (1975),
- शोले (1975),
- अमर अकबर अन्थोनी (1977),
- सत्यम शिवम् सुंदरम (1978),
- क़र्ज़ (1980),
- रॉकी (1981),
- कर्मा (1986),
- नगीना (1986),
- चांदनी (1989),
- अग्निपथ (1990),
- हम (1991),
- मोहबतें (2000),
- ताल (1999),
- ग़दर (2002)
Filmfare Award (फ़िल्म्फेयर पुरस्कार):
आनंद बक्शी साहब 40 बार फ़िल्म्फेयर अवार्ड के लिए नामांकित हुए।
इसमें से 4 बार उन्होंने ये अवार्ड जीता।
Best lyricist (सर्वश्रेष्ठ गीतकार):
- फिल्म अपनापन (1977) के गाने ‘ आदमी मुसाफिर है ‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्म्फेयर पुरस्कार (1979)
- फिल्म एक दूजे के लिए (1981) के गाने ‘ तेरे मेरे बीच में ‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्म्फेयर पुरस्कार (1982)
- फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995) के गाने ‘ तुझे देखा तो ये जाना ‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्म्फेयर पुरस्कार (1996)
- फिल्म ताल (1999) के गाने ‘ इश्क़ बिना ‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्म्फेयर पुरस्कार (2000)
- फिल्म मोहबतें (2000) के गाने ‘ हमको हमि से चुरालो ‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का स्क्रीन पुरस्कार (2001)
- फिल्म ताल (1999) के गानो के लिए ज़ी सिने पुरस्कार (2000)
आनंद बक्शी साहब के कुछ बेहतरीन नग्मे:
रूप तेरा मस्ताना
लम्बी जुदाई
एक अजनबी हसीना से
दो दिल मिल रहे हैं
दिए जलते हैं
मेरे मितवा मेरे मीत रे, आजा तुझको पुकारे मेरे गीत रे