Gulzar shayari in hindi
About Gulzar Sahab:
(18 August 1934) हिंदी गीत संगीत को शौक से सुनने वाले लोग गुलज़ार साहब के गीतों के हमेशा से ही दीवाने रहे है। बहुमुखी प्रतिभा के धनि गुलज़ार साहब , न केवल एक गीतकार है , बल्कि एक सफल निर्देशक , कवी , लेखक , संवाद लेखक और फ्लिमों के लेखक भी है। यही नहीं , इन्हे अपने उत्कृष्ट कार्यो के लिए तरह तरह के उपाधियों इनामो से भी नवाज़ा गया है। 2004 में इन्हे पद्म भूषण से नवाज़ा गया। ये साहित्य अकादेमी पुरस्कार और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी जीत चुके है। इसके आलावा , 5 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार , 22 फ़िल्म्फेयर पुरस्कार और एक अकादमी पुरस्कार भी जीत चुके है। मशहूर संगीतकार रेहमान के साथ फिल्म “Slumdog Millionaire” में ” जय हो ” गीत के लिए इन्हे ग्रैमी पुरस्कार भी दिया गया है। गुलज़ार साहब ने ” आंधी ” और ” मौसम ” जैसी बेहतरीन फिल्मो का निर्देशन किया , वही उनके द्वारा निर्देशित धारावाहिक ” मिर्ज़ा ग़ालिब ” दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। यह धारावाहिक पूरे भारत में मशहूर हुआ और धारावाहिक निर्देशन में एक मील का पत्थर साबित हुआ। (Gulzar shayari in hindi) गुलज़ार साहब के कुछ शेरो के लिए अगला अनुभाग पढ़े।
Gulzar shayari in hindi (गुलज़ार शायरी हिंदी में):
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ ।
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभारेगा कौन,
ग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन!
आइना देख कर तसल्ली हुई।
हम को इस घर में जानता है कोई।
मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,
तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था!
सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
More on Gulzar shayari in hindi:
उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
कहानी शुरू हुई है तो खतम भी होगी
किरदार गर काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे|
हसरत थी दिल में की एक खूबसूरत महबूब मिले,
मिले तो महबूब मगर क्या खूब मिले।
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कोन दिल के पास होता है!
मंजर भी बेनूर था और
फिजायें भी बेरंग थीं
बस फिर तुम याद आये
और मौसम सुहाना हो गया!
More on Gulzar shayari in hindi:
तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना,
हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते!
जागना भी कुबूल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ!
तमाशा करती है मेरी जिंदगी,
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं!
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!
इतना क्यों सिखाये
जा रही है ज़िन्दगी
हमें कौन सी सदियाँ
गुज़ारनी है यहाँ।
More on Gulzar shayari in hindi:
दिल के रिश्ते तो हमेशा किस्मत से ही बनते है¸
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है !
सच को तमीज ही नही बात करने की¸
झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है।
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी¸
ऐसा तो कम ही होता है वह भी हो तन्हाई भी ।
इंसान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले¸
और परिंदे सोचते है कि रहने को घर मिले ।
मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका।
Gulzar Sahab Early Life:
गुलज़ार साहब का जन्म 18 अगस्त 1934, को ब्रिटिश राज के झेलम जिला में हुआ, जो की अब पाकिस्तान में है। खत्री सिख परिवार में जन्मे गुलज़ार साहब का असली नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है। स्कूल के समय से ही इन्हे पढ़ने का बहुत शौक था। बचपन में ही इन्होने गुरु रविंद्र नाथ टैगोर की अनुवादित किताबें पढ़ डाली थी। इनका बचपन बहुत कठिनाईओ में निकला। भारत – पाकिस्तान बटवारे के समय इन्हे भी अपनी पढाई छोड़ कर मुंबई आना पड़ा। यहाँ आजीविका के लिए इन्होने कई छोटे छोटे काम किये , जिसमें एक काम एक कार गेराज में पेंट करने का था। इस काम में उन्हें अपनी पढाई आगे बढ़ाने , कॉलेज जाने और अपने लिखने का शौक पूरा करने का भरपूर वक़्त मिला करता। शुरुआत में उनके पिताजी उनके इस लिखने के शौक के खिलाफ थे। इसको छुपाने के लिए इन्होने अपना लेखन का नाम बदल कर गुलज़ार दीनवी कर दिया। यही से बाद में इनका नाम गुलज़ार मशहूर हुआ। गुलज़ार साहब का विवाह 1973 में अपने वक़्त की महान अदाकारा राखी से हुआ। इनकी सुपुत्री मेघना गुलज़ार भी निर्देशन के क्षेत्र में कार्यरत है। इन्होने भी , तलवार , राज़ी और छपाक जैसी फिल्मो का निर्देशन किया है।
Gulzar Sahab as lyricist (गीतकार):
अपने कॉलेज के दिनों के दौरान ही ये प्रोग्रेसिव रइटर्स एसोसिएशन में जाने लगे जहा पे इनकी मुलाकात शैलेन्द्र और बिमल रॉय से हुई। फिल्मो में अपना पहला काम भी गुलज़ार साहब ने इन्ही के साथ शुरू किया। इनका पहला गाना ‘ मोरा गोरा अंग लईले ‘ फिल्म ‘ बंदिनी ‘ में प्रदर्शित किया गया जो लता मंगेशकर का गाया हुआ है। हृषिकेश मुखरजी की फिल्म ‘ आशीर्वाद ‘ में गुलज़ार जी ने गीत और संवाद दोनों लिखे। गुलज़ार साहब के संवाद तो शुरू से ही पसंद किये गए लेकिन उनके गीत और कविताओं को पहचान मिलना शुरू हुई 1969 से जब उन्होंने फिल्म ‘ ख़ामोशी ‘ के लिए गीत लिखे। 1971 में बानी फिल्म ‘ गुड्डी ‘ का गाना ‘ हमको मन की शक्ति देना ‘ आज भी भारत के कई स्कूलों में सुबह की प्रार्थना में गाया जाता है। गुलज़ार साहब एक गीतकार के तौर पे , भारतीय सिनेमा के हरेक बड़े निर्देशक और गीतकार के साथ काम कर चुके है। जहा शुरूआती दौर में इन्होने सचिन बर्मन , राहुल बर्मन , लक्ष्मीकांत – प्यारेलाल , मदन – मोहन , हेमंत कुमार आदि के साथ काम किया , वही इनका काम नए दौर के कलाकारों और संगीतकारों के साथ भी उतना ही सराहा गया। विशाल भारद्वाज के साथ सुपर हिट फिल्मो के गीत गुलज़ार के ही लिखे हुए है। कुछ चुनिंदा फिल्में रही ‘ माचिस ‘ ‘ ओमकारा ‘ और ‘ कमीने ‘ , शंकर – अहसान – लोय के साथ की गयी फिल्म ‘ बांटी और बबली ‘ का हंसमुख और तेजतर्रार गीत भी गुलज़ार साहब के लेखन के मायनो को दिखते है। नए जमाने के संगीतकारों में ऐ आर रेहमान के साथ गुलज़ार साहब ने भी अपना बेहतरीन काम किया है। फिर चाहे वो अपने समय का अव्वल नंबर रहा गीत ‘ छैय्या छैया ‘ हो या फिल्म ‘ guru’ के लिए लिखे गए गाने। इनकी जुगलबंदी में बने गीत संगीत ने भारत का नाम विश्व में भी ऊँचा किया है। हॉलीवुड की फिल्म ‘ स्लमडॉग मिलियनेयर ‘ के गीत ‘ जय हो ‘ को 81st अकडेमी अवार्ड में ‘ बेस्ट ओरिजिनल सांग ‘ का पुरस्कार मिला , इसके अलावा इसी गाने को ग्रैमी अवार्ड भी मिला।
Gulzar Sahab as director (निर्देशन):
जितने प्रखर गुलज़ार साहब गीत लिखने में है उतनी ही दक्षता से इन्होने अपनी फिल्मो का निर्देशन भी किया है। सुपरहिट फिल्मो ‘ आनंद ‘ और ‘ ख़ामोशी ‘ के संवाद लिखने के बाद १९७१ में इन्होने अपनी पहली फिल्म ‘ मेरे अपने ‘ का निर्देशन किया। इसके बाद इन्होने ‘ परिचय ‘ और ‘ कोशिश ‘ का भी निर्देशन किया। फिल्म ‘ कोशिश ‘ की कहानी भी गुलज़ार साहब ने ही लिखी थी। ये कहानी एक मूक – बधिर जोड़े की संघर्ष की कहानी है। अभिनेता संजीव कुमार को इस फिल्म में अपने अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
इन्होने ‘ आंधी ‘ फिल्म का भी निर्देशन किया। इस फिल्म का गीत संगीत भी बहुत मशहूर हुआ। ज्यादातर लोग आज भी ये मानते है की यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के जीवन पर आधारित थी। हालाँकि ऐसा नहीं था। आपातकाल के दौरान 1975 में इस फिल्म पर प्रतिबन्ध भी लगा दिया गया था। इनकी निर्देशित फिल्म ‘ मौसम ‘ को सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशन का भी पुरस्कार मिला। इनकी फिल्म ‘ अंगूर ‘ ने ये साबित कर दिया की हास्यरस को दर्शाने में भी इनकी कोई बराबरी नहीं है। इनकी फिल्म ‘ माचिस ‘ में जहा एक जवान पंजाबी लड़के की आतंकवादी बन ने की कहानी को दिखाया ही वही इनकी फिल्म ‘ हु तू तू ‘ में आम आदमी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अलग हे अंदाज़ में पेश किया है। गुलज़ार साहब ने यू तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े से बड़े कलाकार के साथ काम किया है , लेकिन उनके सबसे पसंदीदा अभिनेता संजीव कुमार ही रहे।
संजीव् कुमार के साथ गुलज़ार साहब की लगातार पांच हिट फिल्में आयी। ये थी कोशिश , आंधी , मौसम , अंगूर और नमकीन। 1970 से 1980 के दशक के बीच में इन्होने राहुल देव बर्मन के साथ कई फिल्मो का हिट गीत संगीत दिया।
Gulzar Sahab’s contribution in small screen:
बड़े पर्दे के आलावा छोटे परदे यानि टेलीविज़न में भी इनका कार्य सराहनीय है। इनके द्वारा निर्देशित टेलीविज़न धारावाहिक ‘ मिर्ज़ा ग़ालिब ‘ (Mirza Ghalib) 1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। इसके आलावा बच्चो के लिए बहुत से धारावाहिक और कहानीयो में भी इनका योगदान रहा। इन्होने ‘ जंगल बुक ‘ , ‘ ऐलिस इन वंडरलैंड ‘ , ‘ गुच्छे ‘ और पोटली बाबा की ‘ के लिए गीत , कहानी और संवाद भी लिखे है। महान ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह के साथ इनकी दो एल्बम ‘ मरासिम ‘ और ‘ कोई बात चले ‘ भी सुपरहिट रही। गुलज़ार साहब की शुरूआती कवितायेँ उर्दू और पंजाबी में लिखी गयी है। इन्होने ब्रज भाषा , कड़ी बोली मारवाड़ी और हरयाणवी में भी कार्य किया है।
Gulzar Sahab – More Details:
गुलज़ार साहब अपने आप में साहित्य का एक समंदर है। इन्होने कई फिल्मो में गाने लिखे तो कई फिल्मो में संवाद लिखे। कई फिल्मो की इन्होने कहानी लिखी जबकि इनका निर्देशन भी बहुत हे शानदार रहा। इनमे से कुछ उल्लेखनीय कार्य इस प्रकार है
फिल्मो से सम्बंधित :
गीतकार :
- काबुलीवाला (1961),
- बंदिनी (1963),
- पिंजरे का पंछी (1966),
- अनुभव (1969),
- खट्टा मीठा (1978),
- गोल माल (1979),
- खूबसूरत (1980),
- ग़ुलामी (1985),
- रुदाली (1993),
- दिल से (1997),
- फ़िज़ा (2000),
- असोका (2001),
- ओमकारा (2006),
- स्लमडॉग मिलियनेयर (2008),
- मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर (2019)
गीतकार एवं संवाद :
- आशीर्वाद (1968),
- ख़ामोशी (1969),
- चाची ४२० (1997),
- साथिया (2001)
निर्देशन :
- मेरे अपने (1971),
- कोशिश (1972),
- आंधी (1975),
- मौसम (1975),
- अंगूर (1982),
- नमकीन (1982),
- लेकिन (1990),
- माचिस (1996),
- हु तू तू (1999)
टेलीविज़न :
- मिर्ज़ा ग़ालिब (1988), गीतकार लेखक और निर्देशन
- जंगल बुक (1989), गीतकार (जंगल जंगल बात चली है पता चला है )
- पोटली बाबा की (1991), गीतकार , लेखक और निर्देशन
- सोन पारी (2000), गीतकार
अन्य उल्लेखनीय कार्य :
- मैं और मेरा साया (1992), भूपेन हज़ारिका के लिखे गये आसाम के लोक गीतों का हिंदी अनुवाद
- मरासिम (1999), जगजीत सिंह के साथ ग़ज़ल एल्बम में गीतकार
- कोई बात चले (2006), जगजीत सिंह के साथ ग़ज़ल एल्बम में गीतकार
- अमृता प्रीतम (2007), अमृता प्रीतम को श्रद्धांजलि
हमारी आशा है की गुलज़ार साहब इसी तरह साहित्य की दुनिया को गुलज़ार करते रहे।