Zindagi Shayari 015
ये मत पूछना कि ज़िन्दगी,
खुशी कब देती है?
क्योंकि शिकायतें तो उन्हें भी है,
जिन्हें ज़िन्दगी सब कुछ देती है।
ये मत पूछना कि ज़िन्दगी,
खुशी कब देती है?
क्योंकि शिकायतें तो उन्हें भी है,
जिन्हें ज़िन्दगी सब कुछ देती है।
मैंने जिन्दगी से पूछा, सबको इतना दर्द क्यों देती हो?
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया, मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हूँ,
पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है।
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला रखना,
जहाँ दरिया समन्दर में मिले दरिया नहीं रहता।
ज़िन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है
सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है।
हमने तो ज़िन्दगी की बहुत सी खुशियों को बर्बाद किया है,
तब हमने दर्द में मुस्कुराने का हुनर आबाद किया है।
ए-ज़िन्दगी, इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया,
चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आया।
नींद आना खत्म हो जाये जहाँ से।
बस ज़िन्दगी के सफर की शुरुआत, वहीं से होती है।
कुछ दोस्त कमाओ थोड़ा प्यार खर्च करो,
ज़िन्दगी में हिसाब कुछ इस तरह से करो।
हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके,
तन्हाइयों के खौफ से जो शख्स मर गया।
किस तरह जमा करें अब अपने आप को
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के।