Zindagi Shayari 020
ये ज़िन्दगानी तो बहुत हल्की हुआ करती है,
दम तो हमारी ख्वाइशें निकाल दिया करती हैं।
ये ज़िन्दगानी तो बहुत हल्की हुआ करती है,
दम तो हमारी ख्वाइशें निकाल दिया करती हैं।
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है कि,
मरने को दिल चाहे।
बस कुछ लोग इतना दर्द देते हैं कि,
जीने का दिल नहीं करता।
तहज़ीब के खिलाफ हुआ सच का बोलना,
अब झूठ ज़िन्दगी के सलीक़े में आ गया।
रोते हुए नयन देखे
मुस्कुराता हुआ अधर देखा
गैरों के हाथों में मरहम
अपनों के हाथों में खंजर देखा।
ज़िन्दगी भी कितनी अजीब है,
जो कभी सोचा वो कभी मिला नही,
जो पाया कभी सोचा नही,
और जो मिला रास आया नही,
जो खोया वो याद आता है,
और जो मिला सम्भाला जाता नही।
ये मत पूछना कि ज़िन्दगी,
खुशी कब देती है?
क्योंकि शिकायतें तो उन्हें भी है,
जिन्हें ज़िन्दगी सब कुछ देती है।
मैंने जिन्दगी से पूछा, सबको इतना दर्द क्यों देती हो?
जिन्दगी ने हंसकर जवाब दिया, मैं तो सबको ख़ुशी ही देती हूँ,
पर एक की ख़ुशी दुसरे का दर्द बन जाती है।
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला रखना,
जहाँ दरिया समन्दर में मिले दरिया नहीं रहता।
ज़िन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है
सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है।
हमने तो ज़िन्दगी की बहुत सी खुशियों को बर्बाद किया है,
तब हमने दर्द में मुस्कुराने का हुनर आबाद किया है।