Zindagi Shayari 010 ए-ज़िन्दगी, इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया, चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आया।
Zindagi Shayari 005 ज़िन्दगी की हकीकत को बस हमने इतना ही जाना है, दर्द में अकेले हैं और खुशियों में सारा जमाना है।
Zindagi Shayari 003 ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है।